भारतीय खेल घोड़ों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और प्रतिस्पर्धा के रास्ते खुलेंगे
अंतरराष्ट्रीय स्तर की जैव सुरक्षा व्यवस्था
इस कम्पार्टमेंट में मजबूत जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल, सख्त पशु चिकित्सा निगरानी और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के पालन की व्यवस्था की गई है। इसके माध्यम से भारतीय खेल घोड़े अब विदेश यात्रा कर सकेंगे और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले सकेंगे। इससे भारतीय घुड़सवारी खिलाड़ियों और घोड़ों की वैश्विक प्रतियोगिताओं में भागीदारी और संभावनाएं बढ़ेंगी, साथ ही भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी मजबूत होगी।
घोड़ा पालन, खेल और व्यापार को बढ़ावा
यह सुविधा देश में घोड़ों से जुड़ी गतिविधियों जैसे खेल, प्रजनन और उच्च कीमत वाले घोड़ों के व्यापार को भी प्रोत्साहित करेगी। साथ ही, यह भारत की जैव सुरक्षा और रोग तैयारी ढांचे को भी मजबूत बनाएगी।
किन रोगों से मुक्त घोषित
WOAH द्वारा यह कम्पार्टमेंट निम्नलिखित रोगों से मुक्त घोषित किया गया है:
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इक्वाइन संक्रामक एनीमिया
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इक्वाइन इन्फ्लूएंजा
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इक्वाइन पिरोप्लाज़मोसिस
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ग्लैंडर्स
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सुर्रा
इसके अलावा, भारत 2014 से अफ्रीकी हॉर्स सिकनेस से भी मुक्त है।
विभिन्न विभागों के सहयोग से मिली सफलता
यह उपलब्धि कई विभागों और संस्थाओं के आपसी सहयोग का परिणाम है। इसमें शामिल हैं:
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पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार
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रक्षा मंत्रालय के तहत रिमाउंट पशु चिकित्सा सेवा निदेशालय
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भारतीय घुड़सवारी महासंघ (EFI)
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उत्तर प्रदेश सरकार का पशुपालन विभाग
WOAH मानकों के अनुरूप प्रबंधन
यह मान्यता WOAH की पशु स्वास्थ्य संहिता के मानकों के अनुरूप दी गई है। कम्पार्टमेंटलाइजेशन की इस व्यवस्था में कड़े जैव सुरक्षा और पशुपालन प्रोटोकॉल के जरिए जानवरों की एक परिभाषित, सुरक्षित उप-जनसंख्या को प्रबंधित किया जाता है।
कड़े एसओपी और निगरानी व्यवस्था
EDFC मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) के तहत काम करता है। इसमें शामिल हैं:
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रोग बहिष्करण प्रोटोकॉल
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कीट नियंत्रण
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भौतिक सुरक्षा
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स्वच्छता
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पशु स्वास्थ्य निगरानी
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अपशिष्ट प्रबंधन
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निरंतर निगरानी
भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका
यह मान्यता भारत की इस बात को रेखांकित करती है कि देश विज्ञान आधारित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुसंगत पशु स्वास्थ्य प्रणालियों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह न केवल सुरक्षित व्यापार की सुविधा देगा बल्कि घुड़सवारी जैसे उभरते क्षेत्रों को भी समर्थन करेगा।
पोल्ट्री सेक्टर में भी कम्पार्टमेंटलाइजेशन
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि भारत अपने पोल्ट्री सेक्टर में भी इसी तरह का कम्पार्टमेंटलाइजेशन दृष्टिकोण अपना रहा है। अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) से मुक्त प्रमाणित प्रतिष्ठानों के विकास के माध्यम से मुर्गीपालन उत्पादों के सुरक्षित निर्यात को भी सक्षम किया जा रहा है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, यह कदम भारत की व्यापक राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जैव सुरक्षा को मजबूत करना, निर्यात तत्परता को बढ़ाना और वैश्विक मानकों के अनुरूप एक लचीली पशु स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना है।
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